जागेश्वर महादेव – श्रावण में विशेष पर्व

इस लेख में है – अल्मोड़ा से जागेश्वर तक रोड ट्रिप, रूट और रास्ते के बारे मे जानकारी और साथ में करेंगें जागेश्वर मंदिर समूह के दर्शन। यात्रा वृतांत आरम्भ  करते हैं – अल्मोड़ा में धारानौला से।
धारानौला अल्मोड़ा की महत्वपूर्ण बाज़ार हैं। यहाँ – कई सरकारी / गैर सरकारी कार्यालय और मिठाइयों, रोजमर्रा की जरूरतों की दुकानें सहित कई  रेस्टोरेंट व होटल्स भी हैं। धारनौला से चढ़ाई की और जाने वाला रास्ता – धारानौला से अल्मोड़ा के लिए पैदल मार्ग हैं। यहाँ स्थित टॅक्सी/ बस स्टैंड से बागेश्वर, ताकुला, पिथौरागढ़, जागेश्वर, बेरीनाग, मुनस्यारी आदि स्थानों के लिए बस अथवा शेयर्ड टैक्सी मिल जाती हैं। 

धारानौला में एक पेट्रोल/ डीजल हेतु फ्युल स्टेशन भी हैं। अल्मोड़ा से जागेश्वर की दूरी 35 किलोमीटर है। धारानौला बस स्टैंड से लगभग 1.5 दूरी पर है – सिकुड़ा बेंड। यहां से दाई ओर जाती रोड विश्वनाथ, जलना, डोल आश्रम, शहरफाटक आदि को जाती है और सीधे आगे जाने वाले रोड से जागेश्वर पहुच सकते है। 

सिकुड़ा बैंड से थोड़ी दूरी पर हैं – फलसिमा बेंड। यहाँ से सामने दिखता, जंगल से घिरा कलात्मक भवन –  उदयशंकर नाट्य एकेडमी का हैं । दूसरी ओर दिखाई देते हैं – नज़ारे – पहाड़ी पर बसे अल्मोड़ा शहर के।

यहाँ से आगे जाकर पहुचते है – अल्मोड़ा से ऊंचाई पर बसे स्थान – एनटीडी, जहाँ diversion से, बाई ओर चड़ाई मे जाने वाली  सड़क से कसार देवी, बिनसरबागेश्वर को जा सकते हैं। इसी सड़क मे थोड़ा आगे से एक ओर diversion हैं – जहां से एक रोड अल्मोड़ा शहर के दूसरे किनारे पांडेखोला से कनैक्ट करती है। 

इसी मार्ग में अल्मोड़ा का चिड़ियाघर और प्रसिद्ध चितई गोलु देवता मंदिर हैं। चितई से बाड़ेछीना 6 किमी, जागेश्वर 22 किमी और धौलछीना 20 किमी की दूरी पर है।
देखिये चितई गोलु देवता मंदिर की जानकारी देता विडियो ?

अल्मोड़ा से 14 किलोमीटर की दूरी पर छोटा सा खूबसूरत गांव है पेटशाल। सड़क से लगी हुई कुछ दुकानें और घर। बाई ओर शिव मंदिर पेटशाल। 

पेटशाल से लगभग 1 किलोमीटर पर लखुउडयार शैलाश्रय। लखुउडयार, प्रसिद्ध है यहां पाएं जाने वाली आदिकाल के समय की गुफाओं के लिए।


इस रोड से आगे बढ़, पहुचे –  बाड़ेछीना, ये क्षेत्र काफी उपजाऊ भूमि वाला और अच्छी आबोहवा वाला है। यहां की स्थानीय बाजार में आस पास रहने वाले ग्रामीणो के रोजमर्रा के जरूरत से जुड़े समान मिल जाते हैं।

रास्ते मे कई गाँव हैं, उनमे से एक यह है मनियागर।  बाडिछिना से 11 किलोमीटर की दूरी पर पनुवानौला, यह घनी आबादी वाला क्षेत्र हैं, यहाँ काफी दुकानें, रैस्टौरेंटस, और कुछ होटेल्स हैं। 

आरतोला से जागेश्वर रोड मे रास्ते के दोनों और घने देवदार के पेड़ हैं, जो इस रोड और जगह को बेहद आकर्षक बनाते हैं, जागेश्वर मंदिर एक रूट मे दायी ओर कत्युरी काल का प्राचीन मंदिर हैं, जिसे दंडेश्वर मंदिर समूह नाम से जाना जाता है। 

इस मंदिर से चार पांच सौ मीटर की दूरी जागेश्वर, और मंदिर से पहले नज़र आने लगते हैं –  गेस्ट हाउसेस, होटेल्स, रेस्टोरेंट्स यहां वाहन की पार्किंग दायी ओर, श्रावण माह मेँ काफी संख्या मे  श्रद्धालुओं के जागेश्वर धाम के दर्शन के लिए आने कारण 2-3 किलोमीटर दूर वाहन पार्क करने पड़ते हैं। 

जागेश्वर मे मंदिर से कुछ कदम पहले बाई ओर एक संग्रहालय हैं, ,जागेश्वर मंदिर समूह की प्राचीन मूर्तियां यहाँ देखी जा सकती हैं, पूजन सामग्री की दुकानें मंदिर से पूर्व ही दिख जाती हैं। 

जागेश्वर मंदिर समूह के इतिहास, मन्यताओं, मंदिर दर्शन और अन्य रोचक तथ्यों से जुड़ी अन्य जानकारियां देता वीडियो देखें। ?

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