भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी : अनमोल रत्न

भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी का जन्म 10 सितंबर 1887 में उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के खूंट (धामस) नामक गांव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम श्री मनोरथ पंत और माता जी का नाम श्रीमती गोविंदी बाई था। माता जी के नाम से ही उन्हें गोविंद नाम मिला। पंत जी की प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में ही हुई।

पिताजी के सरकारी नौकरी में होने के कारण उनका समय-समय पर ट्रांसफर होते रहता था। इस कारण गोविंद बल्लभ पंत जी, अपने नाना के पास ही पले-बढ़े।

उन्होंने बी. तथा एल.एल.बी तक की शिक्षा ग्रहण की थी। 1909 में उन्होंने वकालत की परीक्षा में यूनिवर्सिटी टॉप करी, और इसी कारण उन्हें विश्वविद्यालय का सम्मानित पुरस्कारलम्सडैनगोल्ड मेडल दिया गया। काकोरी मुकदमे ने एक वकील के तौर पर उन्हें पहचान और प्रतिष्ठा दिलाई। पंत जी के बारे में जग जाहिर था, कि वह सिर्फ सच्चे केस लेते थे। वह झूठ पर आधारित मुकदमे स्वीकार नहीं करते थे।

1920 में पंत जी, गाँधी जी के रोलेट एक्ट के खिलाफ चलाए गए असहयोग आंदोलन से इतने प्रभावित हुए, कि उन्होंने वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का हिस्सा बन गए। पंत जी 1921, 1930, 1932 और 1934 के स्वतंत्रता संग्रामों में, लगभग 7 वर्ष जेल में रहे। 1927 में साइमन कमीशन के खिलाफ जुलूस व प्रदर्शन करने के दौरान अंग्रेजों की लाठीचार्ज में उन्हें चोटें आयी, जिसके कारण उन्हें आजीवन कमर दर्द की शिकायत बनी रही।

राजनीति में पंत जी की दिलचस्पी का ही नतीजा था, कि उन्हें 1937 में संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) के प्रथम मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद पंत जी ने दोबारा 1946 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला।

पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 1946 से 1954 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला1955 में पंत जी केंद्र सरकार में होम मिनिस्टर बने। उन्होंने 1955 से 1961 तक ग्रह मंत्री का कार्यभार संभालाग्रह मंत्री रहते हुए पंत जी ने हिंदी भाषा को संविधान में राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलवाया और भारत के सबसे बड़े सम्मानभारत रत्नदेने की प्रथा भी शुरू की।

पंत जी की गिनती भारत के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में होती है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश सेवा को समर्पित कर दिया था।

1957 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी को देश की आजादी और भारत के विकास में योगदान के लिए देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया।

7 मार्च 1961 को भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी का निधन हो गया। इसी के साथ एक महान स्वतंत्रता सेनानी और एक अनमोल रत्न को हमने खो दिया।

पंत जी एक कुशल अधिवक्ता, नैतिक तथा चारित्रिक मूल्यों के उत्कृष्ट राजनेता, कुशल प्रशासक, सुलझे हुए इंसान तथा देश के हितों को सर्वप्रथम रखने वाले व्यक्ति थे।

भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी की जयंती को उत्तराखंड  गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

हम भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जी को शतशत नमन करते हैं।

 

 


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2 comments

Ravi September 10, 2020 - 7:32 am
Very nice Bhut achi jaankari mili apke lekh se....
B S Bisht September 10, 2020 - 7:52 am
??
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