डिजिटल अरेस्ट स्कैम: सावधान रहें! कैसे पहचानें और बचें इस खतरनाक धोखाधड़ी से?

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Digital Arrest Scam- A Shocking Reality of Cyber Threats and Security Breaches
Digital Arrest Scam- A Shocking Reality of Cyber Threats and Security Breaches

Digital Arrest Scam: डिजिटल अरेस्ट घोटाला क्या है, कैसे पहचानें और इससे कैसे बचें?

डिजिटल अरेस्ट स्कैम (Digital Arrest Scam) आज के डिजिटल युग का एक नया साइबर अपराध है, जो लोगों को कानूनी कार्यवाही और गिरफ्तारी का डर दिखाकर ठगने के लिए किया जाता है। इस घोटाले का मुख्य उद्देश्य पीड़ितों को डराकर या मानसिक तनाव में डालकर उनसे अवैध रूप से पैसे ऐंठना है। इसमें ठग खुद को सरकारी अधिकारी, पुलिसकर्मी या न्यायालय से जुड़ा बताते हैं, ताकि पीड़ित को विश्वास हो जाए कि उन पर सच में कोई गंभीर कानूनी मामला चल रहा है।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम कैसे काम करता है?

Digital Arrest Scam में ठग अलग-अलग तरीकों से पीड़ितों को निशाना बनाते हैं। मुख्यत: इसमें पीड़ित को किसी अनजान फ़ोन कॉल, ईमेल, या टेक्स्ट संदेश के माध्यम से संपर्क किया जाता है। इसके बाद ठग निम्नलिखित कदम उठाते हैं:

  1. फ़र्जी गिरफ्तारी वारंट का दावा: ठग दावा करते हैं कि आपके खिलाफ एक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। वे आपको बताते हैं कि अगर आपने तुरंत पैसे जमा नहीं किए, तो आपकी गिरफ्तारी कर ली जाएगी।
  2. डर पैदा करना: ठग पुलिस, न्यायिक प्रणाली या सरकारी एजेंसी के नाम का इस्तेमाल करते हैं। वे पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा या भारी जुर्माना देना पड़ेगा। इसमें वे कई बार सीरियस आरोप जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स फ्रॉड या साइबर अपराध का जिक्र करते हैं।
  3. तत्काल भुगतान की मांग: वे पीड़ित से तुरंत एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए कहते हैं, ताकि मामला अदालत से बाहर निपटाया जा सके। ठग भुगतान के लिए डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे Paytm, Google Pay, बैंक ट्रांसफर, क्रिप्टोकरेंसी, आदि।
  4. भ्रामक तकनीकी जानकारी: कभी-कभी ठग पीड़ितों को एक नकली वेबसाइट या लिंक भेजते हैं, जहां उन्हें उनकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे कि बैंक डिटेल्स, आधार कार्ड, पासपोर्ट, आदि डालने के लिए कहा जाता है। इस तरह से वे पीड़ित की संवेदनशील जानकारी चुरा लेते हैं।

लोगों के साथ क्या हुआ?

  • दिल्ली के मोहित शर्मा के साथ ऐसा हुआ, जब उन्हें एक फ़ोन कॉल आई जिसमें कहा गया कि उनके खिलाफ एक साइबर क्राइम केस दर्ज है और उनकी गिरफ्तारी किसी भी समय हो सकती है। कॉलर ने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताया और कहा कि ₹75,000 जमा करें, अन्यथा उनके खिलाफ केस दर्ज होगा। डर के मारे मोहित ने तुरंत पैसे ट्रांसफर कर दिए, बाद में उन्हें समझ आया कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं।
  • महाराष्ट्र की सीमा अग्रवाल को एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें लिखा था कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है और यदि वे तुरंत $500 नहीं जमा करतीं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। सीमा ने घबराकर भुगतान कर दिया, बाद में उन्हें पता चला कि यह एक स्कैम था।
  • उत्तर प्रदेश के विकास वर्मा से कहा गया कि उनका पैन कार्ड एक बड़े टैक्स घोटाले में इस्तेमाल हुआ है। उन्हें तुरंत ₹1,00,000 जमा करने के लिए कहा गया ताकि गिरफ्तारी से बचा जा सके। विकास ने पैसे ट्रांसफर किए, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें एक और कॉल आई, जिससे उन्हें शक हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने बताया कि यह एक डिजिटल अरेस्ट स्कैम था।
  • दिल्ली के नवीन का मामला:दिल्ली के रहने वाले नवीन गुप्ता, एक सफल व्यापारी हैं, जिन्हें एक दिन अचानक एक फ़ोन कॉल मिला। कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को दिल्ली पुलिस से संबंधित बताया और कहा कि नवीन के नाम पर एक साइबर क्राइम केस दर्ज है। उस व्यक्ति ने कहा कि नवीन पर मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी का आरोप है, और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। नवीन पूरी तरह से डर गए।कॉलर ने कहा कि अगर वे तुरंत ₹2 लाख का भुगतान करते हैं, तो मामला अदालत के बाहर ही सुलझा लिया जाएगा। नवीन ने इसे सच्ची पुलिस कार्रवाई समझा और तुरंत पैसे ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब उन्होंने जांच की, तो पता चला कि पुलिस का कोई ऐसा मामला उनके खिलाफ नहीं था और वे एक बड़े Digital Arrest Scam के शिकार हो चुके थे।
  • मुंबई की रचना का अनुभव: रचना पाटिल एक जानी-मानी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। एक दिन उन्हें एक ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें लिखा था कि उनके खिलाफ एक गंभीर साइबर क्राइम केस दर्ज है। ईमेल में उनका आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर और अन्य निजी जानकारी सही-सही लिखी गई थी, जिससे उन्हें लगा कि यह संदेश असली है।

    ईमेल में लिखा था कि अगर वे ₹1.5 लाख का जुर्माना तुरंत नहीं भरतीं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। घबराहट में रचना ने दिए गए बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए। बाद में उन्होंने पुलिस से संपर्क किया और पता चला कि यह एक Digital Arrest Scam था। स्कैमर्स ने रचना की निजी जानकारी पहले ही कहीं से चुरा ली थी और उसे उनकी ही जानकारी के खिलाफ इस्तेमाल किया।

  • लखनऊ के अजय तिवारी की कहानी: अजय तिवारी, एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी, को एक कॉल आई जिसमें कहा गया कि उनके खिलाफ आयकर विभाग ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। कॉलर ने उन्हें बताया कि अगर उन्होंने तुरंत ₹3 लाख का भुगतान नहीं किया, तो उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होगा।

    अजय जी ने पहले अपने बेटे से सलाह ली और फिर कॉल की सत्यता जांचने के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क किया। पुलिस ने बताया कि यह पूरी तरह से एक फर्जी कॉल थी और उन्हें धोखाधड़ी से बचा लिया गया।

  • गुड़गांव की सीमा वर्मा का मामला: सीमा वर्मा, जो एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, उन्हें एक दिन एक ईमेल मिला जिसमें लिखा था कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अवैध गतिविधियों का पता चला है और इस वजह से उनके खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है।

    ईमेल में उन्हें तुरंत ₹50,000 का जुर्माना भरने के लिए कहा गया था। जुर्माना न भरने पर, उन्हें जेल भेजने की धमकी दी गई थी। सीमा को ईमेल के साथ जुड़ा हुआ एक भुगतान लिंक भी भेजा गया था। उन्होंने जब अपने दोस्तों से इस बारे में चर्चा की, तो उन्हें पता चला कि यह एक फिशिंग स्कैम था और उस ईमेल में दी गई सारी जानकारी झूठी थी।

  • बैंगलोर के विनोद की घटना: विनोद कुमार एक आईटी प्रोफेशनल हैं। एक दिन उन्हें एक कॉल आया और कहा गया कि उनका नाम एक बड़े साइबर क्राइम केस में फंसा हुआ है, और उन्हें तुरंत कानूनी मदद लेने की जरूरत है। कॉलर ने उन्हें एक वकील से संपर्क करने के लिए कहा और ₹1 लाख का भुगतान करने का निर्देश दिया, ताकि वे गिरफ्तारी से बच सकें।

    विनोद ने जब इस बात को जांचा, तो उन्हें पता चला कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था। यह कॉल पूरी तरह से एक Digital Arrest Scam का हिस्सा था। वे तुरंत साइबर क्राइम सेल से संपर्क किए और कॉल को रिपोर्ट किया।

कैसे पहचाने कि यह एक स्कैम है?

  1. असली सरकारी संस्थाएं इस तरह संपर्क नहीं करतीं: कोई भी सरकारी एजेंसी आपको अचानक कॉल या ईमेल करके गिरफ्तार करने की धमकी नहीं देती। वे आमतौर पर आधिकारिक पत्र या नोटिस भेजती हैं और न्यायिक प्रक्रिया का पालन करती हैं।
  2. तुरंत भुगतान की मांग करना: यदि कोई आपको अचानक पैसे भरने के लिए कहे और तुरंत कार्रवाई की बात करे, तो सतर्क हो जाएं। वास्तविक संस्थाएं आपको कभी भी अचानक पैसा जमा करने के लिए नहीं कहेंगी।
  3. लिंक या अज्ञात वेबसाइट से सावधान रहें: अगर आपको किसी लिंक पर क्लिक करने या किसी वेबसाइट पर जाकर जानकारी डालने के लिए कहा जाता है, तो उसकी प्रमाणिकता की जांच करें। यह हो सकता है कि लिंक आपकी जानकारी चुराने के लिए हो।
  4. संदिग्ध कॉलर आईडी: कई बार स्कैम कॉल करने वाले लोग फर्जी कॉलर आईडी का इस्तेमाल करते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि कॉल किसी सरकारी संस्था या पुलिस स्टेशन से आ रही है। इस तरह के कॉल पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें।

कैसे इससे बचें?

  1. जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण है: हमेशा याद रखें कि पुलिस, सरकारी अधिकारी, या न्यायालय आपको अचानक कॉल या ईमेल नहीं करेंगे और न ही पैसे जमा करने के लिए कहेंगे। ऐसे मामलों में कानूनी परामर्श लें और सत्यापन के लिए संबंधित सरकारी एजेंसी से संपर्क करें।
  2. साइबर क्राइम सेल को रिपोर्ट करें: अगर आपको शक है कि आप एक स्कैम का शिकार हो रहे हैं, तो तुरंत साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें।
  3. व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखें: अपनी संवेदनशील जानकारी जैसे कि आधार कार्ड नंबर, बैंक अकाउंट डिटेल्स, पैन कार्ड, आदि किसी भी अनजान वेबसाइट या संदिग्ध कॉल पर न दें।
  4. फिशिंग ईमेल और कॉल्स से सावधान रहें: यदि कोई ईमेल संदिग्ध लगता है या कॉल आपको अजीब लगे, तो उस पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें। पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें।
  5. तत्काल कानूनी सलाह लें: यदि आपको लगता है कि आप किसी कानूनी मामले में फंस रहे हैं, तो तुरंत कानूनी सलाहकार से परामर्श लें। कानूनी सलाह के बिना कभी भी पैसे जमा न करें।

सुरक्षित रहने के उपाय:

  1. मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें: अपने सभी ऑनलाइन खातों के लिए मजबूत और अद्वितीय पासवर्ड का इस्तेमाल करें। नियमित अंतराल पर पासवर्ड बदलते रहें।
  2. दो-चरणीय सत्यापन (Two-factor authentication): यह एक सुरक्षा उपाय है जो आपके खातों को हैकिंग से बचाता है। यह सुनिश्चित करें कि आपके सभी महत्वपूर्ण खाते इस सुविधा से सुरक्षित हैं।
  3. संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें: अगर आपको कोई ऐसा कॉल, ईमेल, या संदेश मिलता है जो संदिग्ध लगे, तो उस पर ध्यान देने से पहले जांच करें।
  4. सरकारी संस्थानों के काम करने का तरीका समझें: किसी भी आधिकारिक मामले के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सीधे संबंधित विभागों से संपर्क करें और केवल प्रामाणिक स्रोतों पर भरोसा करें।
  5. साइबर सुरक्षा ऐप्स का उपयोग करें: ऐसे ऐप्स और एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करें जो आपके डिजिटल डिवाइसेज को सुरक्षा प्रदान कर सकें और स्कैम से बचा सकें।

Digital Arrest Scam एक खतरनाक ऑनलाइन धोखाधड़ी है जो लोगों को कानूनी मामलों का डर दिखाकर उनसे पैसे ऐंठने का प्रयास करती है। इस प्रकार के घोटाले से बचने के लिए लोगों को जागरूक और सतर्क रहना होगा। डिजिटल युग में इंटरनेट का सही इस्तेमाल करने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा के उपाय अपनाना बेहद जरूरी है।

आप सुरक्षित रहें और किसी भी प्रकार के साइबर अपराध से बचें – यही हमारी शुभकामनाएँ हैं।


UttaraPedia.com के लिए विशेष लेख