हल्द्वानी: कुमाऊँ उत्तराखंड का गेटवे

by Neha Mehta
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Haldwani

Uttarakhand: हिमालयी राज्य उत्तराखंड को दो मण्डल कुमाऊँ और गढ़वाल में बाँटा गया है। दो मंडलों में बटे होने के बाद भी यहाँ की संस्कृति त्योहार जुड़े हुए हैं। उत्तराखंड में कई सुंदर जगहें शामिल है। जहां हर साल हजारों लोग घूमने आते हैं। इन्ही पर्यटक स्थलों को उत्तराखंड के मुख्य शहर आपस में जोड़ते हैं।आज हम बात करेंगे कुमाऊँ का द्वार कहलाने वाले हल्द्वानी शहर के बारे में।

हल्द्वानी (Haldwani) भारत के उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित एक नगर है। यह उत्तराखंड के पाँच सबसे बड़े शहरों मे से एक है। हल्द्वानी कुमाऊँ मण्डल का सबसे बड़ा एवं देहरादून  के बाद राज्य का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। इसे “कुमाऊँ का प्रवेश द्वार” कहा जाता है। कुमाउनी में इसे “हल्द्वेणी” भी कहा जाता है।

इस नगर का नाम हल्द्वानी पड़ने का भी अपना एक विशेष कारण है। इस शहर का नाम हल्द्वानी इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ “हल्दू” प्रचुर मात्रा में मिलता था। एक समय यहाँ हल्दू वृक्षों का घना वन यानी डेनस फारेस्ट हुआ था।

समुद्र तल से हल्द्वानी की ऊंचाई 424 मीटर है। हल्द्वानी भाभर में बस हुआ शहर है। जहां ऐतिहासिक रूप से ये एक स्थानीय व्यापार केंद्र रहा है और कुमाऊँ के पहाड़ी क्षेत्रों और गंगा के मैदानी क्षेत्रों के बीच एक व्यस्त केंद्र भी।

हल्द्वानी कई मायनों में उत्तराखंड और कुमाऊँ के लिए बेहद महत्वपूर्ण नगर है।हल्द्वानी कुमाऊँ का सबसे बड़ा आर्थिक, शैक्षिक, व्यापारिक और आवासीय केंद्र है। हल्द्वानी मैदानी क्षेत्र हैं और देश के प्रमुख हिस्सों से रेल, हवाई  व सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा है। जिससे देश के बडी मंडियों से सामन यहाँ आसानी से पहुच जाता है, इसलिए कुमाऊँ क्षेत्र के पहाडी इलाकों के लिए व्यापार और बड़ी खरीददारी हेतु मुख्य बाजार भी हल्द्वानी हैं।

हल्द्वानी में कुमाऊँ का आखिरी रेलवे स्टेशन होने के कारण भी अपनी एक विशेष भूमिका निभाता है।

हल्द्वानी में चार मुख्य सड़के मिलती है, जो देश के अन्य प्रमुख हिस्सों से इस शहर को कनेक्ट करती हैं, जिनमे नैनीताल रोड, बरेली रोड, कालाढूंगी रोड और रामपुर रोड शामिल हैं।

यदि किसी को  देहरादून, हरिद्वार की ओर से हल्द्वानी आना हो तो, वह कालाढूँगी रोड से होते हुए हल्द्वानी पहुंचेंगे।
अगर कोई दिल्ली, मुरादाबाद, रामपुर, रुद्रपुर होते हुए आते हैं तो रामपुर रोड से होते हुए हल्द्वानी पहुंच सकते हैं।लखनऊ – बरेली होते हुए आते हैं तो बरेली रोड से होते हुए हल्द्वानी पहुंचेंगे। कुमाऊँ के पर्वतीय इलाको जैसे नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, से आते तो नैनीताल रोड से होते हुए हल्द्वानी पहुंचेंगे। ये चारो सड़कें हल्द्वानी में जिस जगह पर मिलती हैं उसे कालाढूंगी चौराहा या कालाढूंगी रोड चौराहा  नाम से जाना जाता है।

इन सड़कों के अतिरिक्त शहर की एक महत्वपूर्ण सड़क गौलापार रोड है। जो शहर के दो प्रमुख भागों को कनैक्ट करती है। जो हल्द्वानी शहर को गौला नदी ब्रिज से दूसरी ओर ले जाती हैं, जिसे गौलापार, हल्द्वानी कहा जाता हैं। गौलापार की रोड से आगे जाते हुए सितारगंज, टनकपुर, खटीमा आदि स्थानों को जाया जा सकता हैं। वैसे गौलापार से हल्द्वानी को शहर से जोड़ने के लिए कई और भी कनेक्टिंग रोडस हैं।

हल्द्वानी नैनीताल जिले की एक तहसील भी है। हल्द्वानी नैनीताल जिले के दक्षिणी भाग में स्थित है, और इसकी सीमाएं नैनीताल जिले में नैनीताल, कालाढूंगी, लालकुआँ और धारी तहसीलों के अलावा उधम सिंह नगर जिले में गदरपुर, किच्छा और सितारगंज, और चम्पावत जिले में श्री पूर्णागिरी तहसील से मिलती हैं।

हल्द्वानी उत्तर भारत के कुछ सबसे विकसित शैक्षिक केंद्रों में से एक है, कुमाऊँ के अलग-अलग जगहों से यहाँ लोग पढ़ने आते हैं। हल्द्वानी में ऐसे कई स्कूल और कॉलेज है जो बहुत ऊँचे स्तर की शिक्षा प्रदान करते है। हल्द्वानी में कई जाने-माने  स्कूल हैं। इसके अतिरिक्त निकट के पंतनगर में गोबिन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जो कृषि अनुसंधान के लिए देश का प्रमुख संस्थान है।

चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा के लिए राज्य का सबसे बड़ा व पुराना चिकित्सा संस्थान सुशीला तिवारी मेमोरियल राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान। यहां मौजूद है इसके अतिरिक यहाँ एन.आई.आई.टी केंद्र भी है हल्द्वानी में राज्य का उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय मौजूद है। अन्य संस्थान आम्रपाली संस्थान, एम बी पी जी कॉलेज, महिला डिग्री कॉलेज हैं। हल्द्वानी को कुमाऊँ का एजुकेशनल हब कहा जा सकता है।

उत्तराखंड पहाड़ और मैदान दोनों को जोड़ने का काम करता है। ऐसे में यहाँ कई दर्शनीय स्थल भी हैं।

रानीबाग:

हल्द्वानी से 8 किमी दूर रानीबाग़ नामक स्थान है, जहाँ हिंदुओं का पवित्र चित्रशिला नामक श्मशान घाट है। उत्तरायणी नामक मेला प्रतिवर्ष मकर संक्रांति  के दिन यहाँ लगता है। कुमाऊँनी बोली में इसे घुघुतिया भी कहते हैं।

शीतला माता मंदिर:

नैनीताल रोड में रानीबाग में स्तिथ शीतला माता मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। जहां माता शीतला देवी का मंदिर है। जो शहर से हटकर एक पहाड़ में है। यहां प्रकृति ने अपनी अनुपम छटा बिखेरी है एवं शांति का वातावरण यहां आने वालों को भाव विभोर कर देता है।

गोला बैराज:

यह बैराज गोला नदी पर बना है, जो हिमालय से निकलकर रामगंगा में मिल जाती है। यह नदी काठगोदाम से होकर भी गुजरती है, जिसके किनारे कई शानदार प्राकृतिक आकर्षण मौजूद हैं। इस नदी पर बना बांध भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

कालीचौड़ मंदिर:

काठगोदाम के पास बियावान जंगल में स्थित कालीचौड़ मंदिर प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों की आराधना और तपस्या का केन्द्र रहा है। हिमालयी भू-भाग में काली के जितने भी प्राचीन शक्तिपीठ व मन्दिर हैं, उन सभी से यह ज्यादा फ़लदायी कहा गया है। कहते हैं कि यहां पर की गयी पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है। नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

छोटा कैलाश:

यह हल्द्वानी से लगभग 30 किलोमेटर की दूरी पर है। जो यहाँ के दर्शनीय स्थलों में से एक है। कहा जाता है कि, माँ पार्वती और पिता महादेव यहाँ आए थे और उन्होंने यहाँ कुछ समय आराम किया। यहाँ शिवरात्री के समय काफी भीड़ होती है। पहाड़ के ऊपरी भाग में होने के कारण यहाँ से नजारा काफी भव्य है।

साथ ही उत्तराखंड से लगभग 40-45 किलोमीटर की दूरी पर उत्तराखंड के कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जैसे नैनीताल, भीमताल, सातताल आदि स्थित है।

हल्द्वानी शहर के बारे में और जानने के लिए देखें

 

 

 

 

 

 

 

 



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