इस मंदिर के कारण, जागेश्वर मंदिर का निर्माण संभव हुआ

Jhakar Saim Temple

अगर आप अपनी रूटीन लाइफ से अलग कुछ दिन हट के एक अलग शांत और शुद्ध वातावरण में बिताना चाहते हैं, तो आज आप जानेगे एक ऐसे ही स्थान के बारे में। जहां आपको पहुचने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी। निकतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम से लगभग 130 किलोमीटर (लगभग 4 से 5 घंटे की) की दूरी पर अल्मोड़ा से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा पिथौरागढ मार्ग पर स्थित है यह स्थान। 
इस लेख में आप जानेंगे झाकर सेम मंदिर के बारे में, जो बाज, बुरांश और काफल के वृक्षों के घने वन के बीचों बीच स्थित एक अत्यंत प्राचीन मंदिर है। यह स्थान bird watching, nature lovers और भीड़ भाड़ से दूर प्राकर्तिक सुंदरता, flora fauna और शांति पसंद करने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है। 
यहाँ कैसे पहुचें
अल्मोड़ा – पिथौरागढ़ मार्ग में अल्मोड़ा से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर, चितई – बाड़ेछिना – आरतोला होते हुए यहाँ पहुंचा जा सकता है, अगर आप अल्मोड़ा से आ रहे हैं तो, और यदि पिथौरागढ़ से आ रहे है तो  दन्या होते हुए लगभग 81 किलोमीटर की दूरी तय कर यहाँ पहुंचा जा सकता है। मुख्य हाइवे से लगभग डेढ़ किलोमीटर के लिए एक अलग रोड इस मदिर तक जाती है। 
मदिर के सामने ही वाहनों के लिए पार्किंग स्थान उपलब्ध है। पार्किंग से आगे मंदिर की ओर बदते हुए आपको पूजन सामग्री हेतु कुछ दुकाने मिल जाती हैं। और फिर है मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार, जहां से कुछ सीढ़ियों द्वारा उप्पर पहुचते ही आपको एक समतल खेत नुमा मैदान में स्थित मदिर प्रागण और मंदिर के दर्शन होते हैं। मंदिर देवदार के वृक्षों से घिरे जंगल के बीचों बीच स्थित है। मंदिर के मुख्य भवन में सेम देवता के मूर्ति स्थापित है।

झाकर सैम देवता

इतिहास
यह मंदिर जागेश्वर धाम से भी प्राचीन मंदिर माना जाता है, इसके पीछे यह कहानी है कि जब जागेश्वर मंदिर का निर्माण हो रहा था, तो दैत्य जागेश्वर मंदिर निर्माण में बाधा पहुचा रहे थे, तब उन्हे यहाँ पर पर बली दी गयी, जिससे उनका ध्यान यहाँ पर केन्द्रित हो गया और जागेश्वर मंदिर का निर्माण सम्पन्न हुआ। यहाँ के पुजारी पाण्डेय व भट्ट है। चैत्र और नवरात्रो पर यहा विशेष पुजा अर्चना की जाती है, और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। 
सेम के इस दरबार में दूर दूर से दर्शनार्थी आते हैं और सेमजी का अर्चन पूजन कर मनोकामना के अनुसार फल पाते हैं।

सेम कुमाऊंनी शब्द  है जिसका मतलब होता है स्वयंभू। सेम ग्राम देवता हैं,  प्रायः कई गांव में सेम देवता का मंदिर होता है जहां नवरात्रियों में घर फसल आदि की रक्षा के लिए सेम देवता की पूजा होती है। नया अनाज मंदिर में चढ़ाया जाता है। रोट व भेंट चढ़ाई जाती है। एक मान्यता यह है कि इस मंदिर को शिवजी की जटाओं के कारण यह नाम मिला।
Stay/ Eat
मंदिर आने वाले श्रद्धालु यहाँ उपलब्ध धर्मशालाओं में रुक सकते हैं, इसके अलावा आस पास कुछ होटल/ गेस्ट हाउस निकटवर्ती स्थानो जैसे जागेश्वर, दन्या, धौलछिना, कसारदेवी, अल्मोड़ा आदि में रुक के भी यहाँ day visit कर लौट सकते हैं। इन स्थानों पर आपको हर बजट के accommodation मिल जाएंगे। खाने पीने के लिए कुछ चाय नाश्ते की दुकाने यहाँ पर उपलब्ध है।

झाकर सैम देवता मंदिर का गुंबद

यहाँ आने का सही समय
यहाँ आप वर्ष में कभी भी आ सकते हैं, विशेष रूप से नवरात्रियों और चैत्र के माह में यहाँ श्रद्धालुओं का अच्छा ख़ासी भीड़ देखी जा सकती है, शेष वर्ष यहाँ अपेकक्षाकृत कम लोग मिलते हैं।
निकटवर्ती आकर्षण
आस पास के निकटवर्ती आकर्षणों में से कुछ हैं – जागेश्वर मंदिर समूह, वृद्ध जागेश्वर मंदिर, गैराड़ गोलु देवता मंदिर, चितई गोलु देवता मंदिर, लखुडियार, कसार देवी, कटारमल सूर्य मंदिर, धौलछिना, अल्मोड़ा, गंगोलीहाट, पाताल भुवनेश्वर आदि।
आशा है की यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी, अपनी प्रतिक्रिया द्वारा बताएं। फिर मिलते हैं एक और स्थान की जानकारी देते लेख के साथ।
धन्यवाद।
झाकरसैम देवता मंदिर पर बना रोचक विडियो देखें। ?

https://youtu.be/RvO5ZeF3UwE

झाकर सैम देवता मंदिर

Related posts

Binsar: Unveiling the Himalayan Splendor in Uttarakhand’s Hidden Gem

New Tehri: Where Adventure Meets Serenity

Rishikesh Uttarakhand