क्या खोया क्या पाया (कविता, स्मिता पाल)

क्या खोया क्या पाया,
हिसाब ये किसने है लगाया?
जो भी मिल गया इस सफर में,
उसे हम ने पूरे दिल से अपनाया।

किसी के कड़वे बोल ने,
दिल का छलनी है कर डाला।
किसी ने पीठ में छुरा घोंप,
अपना नक़ाब हैं हटाया।

किसी ने हाथ आगे बढ़ाया,
किसी ने हमें प्यार से संभाला।
किसी के मीठे बोल ने,
सारे जख्मों को भर डाला।

कभी दुःख का बादल छाया,
कभी खुशियों की बारिश ने भिंगोया।
कभी खून के आंसू रोए,
कभी खुशियों के आंसू भर आए।

हंसते-गाते इस जीवन सफ़र में,
हमने हर किसी को फिर भी गले लगाया।
क्या खोया क्या पाया,
हिसाब ये किसने है लगाया।।

……स्मिता पाल ।।

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