चार चोरों की कहानी- चोर ही चोर की पोल खोलें

आज मैं आपको चोरों की कहानी सुनाने जा रही हूं। इस कहानी में 4 चोर है, जो मिलकर एक घर में चोरी करते हैं। चोरी के बाद क्या होता है उनके साथ?, वे पकड़े जाते हैं या नहीं? यह जानेंगे हम आगे की आने में।

दोस्तों अब कहानी की शुरुआत करते हैं। चार दोस्त थे, जो कहीं भी मिलकर चोरी करते थे और चोरी करने में हमेशा एक दूसरे का साथ देते थे, और चोरी से उन्हें जो भी धन मिलता था वह आपस में बांट लेते थे।

सभी चोरों में एक चोर जोकि बहुत छोटा था। लगभग 12-13 साल का ही था। बाकी सभी चोर 18 वर्ष से अधिक उम्र के थे। यदि वे कहीं भी चोरी करने जाते तो छोटे चोर को सबसे आगे भेजते थे। क्योंकि छोटा चोर दुबला पतला होने के कारण, पतली और संकरी जगह में भी आसानी से प्रवेश कर जाता था।

और बाकी तीन चोर बाहर खड़े होकर पहरा देते थे। वह अपने यही प्लानिंग हर जगह अपनाते चोरी करने के लिए। उन्होंने एक घर में चोरी करने का प्लान बनाया और आधी रात को सभी चोर उस घर की ओर चल दिए चोरी करने।

सभी चोर किसी भी घर में चोरी आधी रात में करते थे। क्योंकि इस समय घर के सदस्य गहरी नींद में सो रहे होते थे। इसी तरह उस घर में भी चोरों ने प्लान बनाया घर में घुसने का।

और उस घर से बार-बार यूं ही चोरी करते रहे। लेकिन उस घर के किसी भी सदस्य को चोरी के कारण का पता नहीं चल पा रहा था, कि आखिर उनके घर में कौन चोरी कर रहा है। चोर उस घर में लगभग 3 बार चोरी कर चुके थे। उस घर के सदस्यों को लग रहा था कि, घर का ही कोई सदस्य है जो इस  चोरी को अंजाम दे रहा है, उस घर के सदस्य आपस में ही कई बार इस बात को लेकर एक दूसरे पर इल्जाम लगाते।

चौथी बार भी चोर उसी घर में चोरी करने आए। उस घर के मेन गेट के ऊपर थोड़ी जगह छोड़ी गई थी दीवार में खिड़की लगाने के लिए। चोर हर बार वही से घर के अंदर प्रवेश करते थे। सबसे पहले छोटे चोर को अंदर भेजते थे। क्योंकि वह आसानी से घर के अंदर जा सकता था।

छोटा चोर घर के अंदर प्रवेश करने के लिए मेन गेट के ऊपर चढ़ा। वह गेट के ऊपर बैठा ही था अंदर की ओर प्रवेश करने ही वाला था, उसका एक पैर बाहर की तरफ और एक पैर अंदर की तरफ लटका था। लेकिन उसी वक्त घर की बड़ी बहू भी पानी पीने के लिए उठी थी और उसने चोर को मेन गेट पर पैर लटकाए बैठे हुए देख लिया और चुपके से आकर छोटे चोर का पैर जोर से पकड़ लिया। लेकिन बाहर खड़े बाकी तीन चोर तब तक वहां से भाग चुके थे।

वह चोर का पैर पकड़ कर जोर जोर से चिल्लाने लगी- चोर चोर चोर….मेरे घर में चोर…. उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर घर के सभी सदस्य उठ गए, यहां तक की सभी पड़ोसी भी उठ गए। फिर क्या था….छोटे चोर का जबरदस्त स्वागत हुआ परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के लात घूंसे और डंडों के साथ।

इतनी देर में किसी ने पुलिस को भी फोन करके बुला लिया। फिर छोटे चोर से पुलिस ने पूछताछ की, कि तेरे साथ बाकी कौन थे, उनका पता बता वह सब कहां मिलेंगे। आखिरकार छोटे चोर ने सोचा कि मैं अकेले क्यों फसू, मैं अकेले ही क्यों मार खाऊं और उसने बाकी चोर तीन चोरों का भी पता बता दिया। फौरन बाकी तीन चोरों को भी पकड़ कर लाया गया।

और बाकी तीन चोरों का भी लोगों ने जमकर स्वागत किया मतलब जमकर पिटाई की। सभी ने अपना हाथ साफ किया उन चोरों पर। चोरों के खिलाफ रिपोर्ट लिखी गई। रात से सुबह हो चुकी थी, पुलिस वालों ने चोरों को गाड़ी में बैठने के लिए कहा।

इस बीच एक बहुत हास्यास्पद घटना घटित हुई। चोरों ने पिटाई खाने के बाद पानी मांगा पीने के लिए और फिर अपने जेब से छोटी कंघी निकाली और चारों चोरों ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए इत्मीनान से कंघी करी, वे सबको ऐसा दिखा रहे थे कि उन्हें चोरी करने और पिटाई खाने का कोई गम ही नहीं है। यह हास्यास्पद घटना यहीं तक समाप्त नहीं हुई। चोरों ने कंघी करने के बाद पास खड़े लोगों से अपनी बीड़ी जलाने के लिए माचिस मांगी। यह बहुत ही हास्यास्पद घटना थी। उनको माचिस दी गई लेकिन पास में खड़े सभी लोग हंस रहे थे। यह तो वही बात हो गई की रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया।

लेकिन इस घटना के बाद उन सारे चोरों की माताएं उस गली में आने से कतराती थी, जिस गली के घर में चोरी हुई थी। क्योंकि उस गली में उनकी माताओं को आने पर चोरों की माताओं के नाम से जाना जाता था। सभी कहते थे- वह देखो चोर की मां जा रही है। यह सुनकर चोरों की मां शर्मिंदा होती थी।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे हमारे परिवार के सदस्यों का सिर झुक जाए। उम्मीद है कि आपको यह कहानी अच्छी लगी होगी। मिलते हैं अगली कहानी के साथ।

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