सुनीता विलियम्स एक भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने अपनी उपलब्धियों से न केवल अमेरिका बल्कि भारत को भी गौरव प्रदान किया है। उनका जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में हुआ था। वह एक नौसेना अधिकारी और नासा की अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने और कई रिकॉर्ड बनाने के लिए दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की। हाल ही में, वह अपने नवीनतम मिशन से 18 मार्च 2025 को धरती पर लौट आई हैं। आइए, उनके परिवार, जीवन, अतीत और इस ताजा वापसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सुनीता विलियम्स का परिवार
सुनीता विलियम्स का पूरा नाम सुनीता लिन पांड्या विलियम्स है। उनके पिता, डॉ. दीपक पांड्या, भारतीय मूल के हैं और गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासान गांव से ताल्लुक रखते हैं। वह पेशे से न्यूरोएनाटोमिस्ट (तंत्रिका विज्ञानी) थे और बाद में अमेरिका में बस गए। उनकी मां, बोनी पांड्या, स्लोवेनियाई मूल की हैं। सुनीता के माता-पिता ने उन्हें भारतीय और अमेरिकी दोनों संस्कृतियों का सम्मान करना सिखाया। उनके दो भाई-बहन हैं: एक भाई जय थॉमस और एक बहन डायना एना।
सुनीता की शादी माइकल जे. विलियम्स से हुई है, जो एक अमेरिकी संघीय मार्शल हैं और पहले हेलीकॉप्टर पायलट रह चुके हैं। सुनीता और माइकल की मुलाकात तब हुई जब वह अमेरिकी नौसेना में हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में प्रशिक्षण ले रही थीं। दोनों ने 1987 में नौसेना अकादमी में एक-दूसरे को जाना और बाद में शादी कर ली। माइकल भी सुनीता की तरह हिंदू धर्म का पालन करते हैं। इस दंपति की कोई संतान नहीं है, लेकिन सुनीता अपने पालतू कुत्तों को अपने परिवार का हिस्सा मानती हैं। वह अपने कुत्तों से बहुत प्यार करती हैं और अंतरिक्ष में रहते हुए उन्हें बहुत याद करती थीं। अपनी हालिया वापसी के बाद, वह अपने परिवार और कुत्तों के साथ समय बिताने के लिए उत्साहित हैं।
सुनीता का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
सुनीता का बचपन अमेरिका के मैसाचुसेट्स में बीता। वह शुरू से ही कुशाग्र बुद्धि और जिज्ञासु स्वभाव की थीं। बचपन में उनका सपना अंतरिक्ष यात्री बनने का नहीं, बल्कि जानवरों की डॉक्टर (पशु चिकित्सक) बनने का था। लेकिन उनके भाई जय के सुझाव पर उन्होंने नौसेना में करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल अकादमी से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद, 1995 में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री पूरी की।
उनके जीवन का सफर और अतीत
सुनीता ने अपने करियर की शुरुआत अमेरिकी नौसेना में की। वहां उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में प्रशिक्षण लिया और कई मिशनों में हिस्सा लिया। वह एक टेस्ट पायलट भी बनीं, जिसके अनुभव ने उन्हें नासा में चयन के लिए योग्य बनाया। 1998 में नासा ने उन्हें अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना, और इसके बाद उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया।
सुनीता ने तीन अंतरिक्ष मिशन पूरे किए हैं:
- STS-116 (2006-2007): उनकी पहली अंतरिक्ष यात्रा 9 दिसंबर 2006 को शुरू हुई और 22 जून 2007 तक चली। इस दौरान उन्होंने 195 दिन अंतरिक्ष में बिताए और चार स्पेसवॉक किए।
- Expedition 32/33 (2012): उनकी दूसरी यात्रा 14 जुलाई 2012 को शुरू हुई और 18 नवंबर 2012 तक चली। इस मिशन में वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की कमांडर बनीं और तीन स्पेसवॉक किए। कुल मिलाकर, उन्होंने 50 घंटे 40 मिनट तक स्पेसवॉक किया, जो एक महिला के लिए विश्व रिकॉर्ड है।
- Boeing Starliner मिशन (2024-2025): 5 जून 2024 को वह तीसरी बार अंतरिक्ष गईं। यह मिशन मूल रूप से एक सप्ताह का होना था, लेकिन बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी (हीलियम लीक और प्रोपल्शन सिस्टम की समस्या) के कारण उनकी वापसी में देरी हुई। वह और उनके साथी बुच विल्मोर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 9 महीने से अधिक समय तक रहे। अंततः, 18 मार्च 2025 को वह स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित लौट आईं। वापसी के बाद उन्हें और उनके साथी को स्ट्रेचर पर ले जाया गया, जो नासा का मानक प्रोटोकॉल है, क्योंकि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद अंतरिक्ष यात्री तुरंत चलने में असमर्थ होते हैं।
धरती पर वापसी
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की धरती पर वापसी 18 मार्च 2025 को हुई। यह मिशन उनकी योजना से कहीं अधिक लंबा हो गया था, क्योंकि बोइंग स्टारलाइनर में खराबी के कारण नासा ने उनकी वापसी के लिए स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान का उपयोग किया। 18 मार्च को सुबह 10:35 बजे (भारतीय समयानुसार) अंतरिक्ष यान ISS से अलग हुआ और 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर समुद्र में सफलतापूर्वक उतरा। वापसी के बाद सुनीता ने अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि वह अपने परिवार, दोस्तों और कुत्तों से मिलने के लिए उत्साहित हैं। इस मिशन के दौरान उन्होंने 900 घंटे से अधिक शोध किया और 9 स्पेसवॉक पूरे किए, जो उनके करियर में एक और उपलब्धि जोड़ता है।
व्यक्तिगत जीवन और रुचियां
सुनीता को तैराकी, दौड़ना और मैराथन में हिस्सा लेना पसंद है। उन्होंने अंतरिक्ष में रहते हुए बोस्टन मैराथन और एक ट्रायथलॉन पूरा किया था। वह हिंदू धर्म को मानती हैं और अंतरिक्ष में भगवद् गीता और उपनिषद की प्रतियां ले गईं। वह अपनी भारतीय जड़ों से गहराई से जुड़ी हैं और 2007 में भारत आईं, जहां उन्होंने गुजरात में अपने पैतृक गांव झुलासान का दौरा किया। उनकी वापसी पर झुलासान गांव में जश्न का माहौल रहा, जहां लोगों ने विशेष पूजा-अर्चना की थी।
सम्मान और उपलब्धियां
सुनीता को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें भारत सरकार द्वारा “पद्म भूषण” (2008) शामिल है। वह अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय बिताने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं और उनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
सुनीता विलियम्स का जीवन मेहनत, लगन और सपनों को सच करने की जीवटता का प्रतीक है। उनकी हालिया वापसी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह न केवल चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं, बल्कि हर परिस्थिति में मानवता के लिए प्रेरणा बन सकती हैं। अब धरती पर लौटकर वह अपने अनुभवों को साझा करने और नए लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए तैयार हैं।