जानिये क्या है, उत्तराखंड के लिए केंद्र का निर्णय…

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उत्तराखंड के लिए कोविड काल में बड़ी खबर उत्तराखंड
​ राज्ये में लोगों को कोविड काल में राहत तो सरकार से मिल रही है पर जनता इसका गलत फायदा भी उठा रही है। राज्ये में कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिसमे लोग राज्ये में प्रवेश मिलने के बाद अपने मोबाइल फ़ोन को बंद कर रहे हैं और उसे स्विच ऑफ़ ही रहने दिया जा रहा है। ऐसे में पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी सिरदर्दी है उनको ट्रेस करना। मीडिया रिपोर्ट्स की जानकारी से पता चला है की राज्ये में दाखिल होने के बाद करीब दो सौ से अधिक लोगों ने अपने मोबाइल नंबर्स को बंद कर दिया है, जिन्हे ट्रेस करने में पुलिस को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ने का कारण टेस्टिंग में बढ़ोतरी को बताया जा रहा है। उत्तराखंड में बीते पिछले महीने में अचानक से कोविड के कई मामले सामने आये हैं, जिसने सभी रिकार्ड्स तोड़ दिए हैं। उत्तराखंड में कोविड-19 के अब तक कुल 33,407 केसेस दर्ज किये गए हैं और जिसमें से 438 मरीज़ों की मृत्यु हो चुकी है, स्वस्थ होने वालों की संख्या में सुधार है जो की 23,230 के लगभग हैं। हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून और नैनीताल जिले में प्रदेश की 66 प्रतिशत आबादी रहती है लेकिन प्रदेश में अब तक इन्ही 4 जिलों को कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इसी लिए राज्ये में बढ़ रहे कोविड -19 के संक्रमण के बीच दी गयी ढील बड़ी चुनौती न बन जाए, इसलिए राज्य में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में खास तौर पर 4 जिलों हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल में ऐसे लोगों की संख्या अधिक बतायी जा रही है जो गंतव्य पर पहुंचने के बाद मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर रहे हैं। इस लिए अब बॉर्डर पर ही कोविड की जाँच जरुरी कर दी गयी है। पहले बॉर्डर पर ही जाँच की जाएगी, उसी के बाद कोई राज्ये में प्रवेश कर सकेगा।आपको बता दें कि केंद्रीय गृह सचिव के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्तियों की प्रतिदिन की संख्या सीमित करने का पुराना आदेश रद्द किया गया है। केंद्र सरकार की अनलॉक-4 की गाइडलाइन के अनुसार राज्य अब लॉकडाउन को लेकर खुद फैसला नहीं करेंगें।
​इन परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए व्यापक जन जागरूकता की आवश्यकता है।

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