वे भारतीय योद्धा, जिनसे प्रभावित हो विएतनाम ने अमेरिका को हराया

साल 2014
मैं पहली बार वियतनाम की यात्रा पर गया था। मेरी फ्लाइट बैंकॉक से हो ची मिन्ह सिटी थी, हो ची मिन्ह सिटी वियतनाम की कमर्शियल कैपिटल है। समुद्र के किनारे बसा हुआ यह शहर का मौसम हॉट और हुमिड है। पुराना शहर होने के कारण भीड़-भाड़ और ट्रैफिक भी काफी अधिक है। ट्रैफिक सिविलाइज्ड है, और अधिकांश लोग टू व्हीलर इस्तेमाल करते हैं। इसे टू व्हीलर्स कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड भी कहा जाता है, लगभग 75 लाख टू व्हीलर इस शहर में चलते हैं।
मैं अपने बिजनेस ट्रिप पर था। 3 दिन बहुत सारे मीटिंग अटेंड करने के बाद, शनिवार रात की मेरी वापसी की फ्लाइट थी। शनिवार दिन मैंने शहर घूमने की सोची, यूं तो हो ची मिन्ह सिटी में बहुत सारे मार्केट और पुराने चर्च वगैरह हैं घूमने के लिए, लेकिन मैं म्यूजियम देखना चाहता था। वार म्यूजियम में पहुंचा, टिकट लेकर अंदर जा रहा था, मुझे एक गाइड मिला, मैंने उससे रेट तय किया।
गाइड मुझे अमेरिका से कैप्चर किए हुए विभिन्न प्रकार के हथियारों के बारे में जानकारी दी। लड़ाकू विमान, वार हेलीकॉप्टरस, गनबोट, हथगोले, रॉकेट लॉन्चर, होवरक्राफ्ट, टैंक्स, तोपे, एके-47 और भी कई अन्य विभिन्न प्रकार के हथियार। अधिकांश हथियार अमेरिका द्वारा छोड़े गए थे। विश्व इतिहास में वियतनाम इकलौता देश है, जिसने अमेरिका को हरा दिया। 20 साल के चले इस युद्ध में, 10 लाख से ज्यादा वियतनामी मारे गए, और लगभग 3 लाख अमेरिकी सैनिक। लेकिन वियतनाम ने सुपर पावर अमेरिका के सामने घुटने टेकने के बजाय, मुकाबला किया, और हराया। युद्ध के ये 20 वर्ष वियतनाम के लिए बेहद कठिन समय था। गाइड ने मुझे यह जानकारी दी।
मैं जानना चाहता था, वह कौन सी ताकत थी, जिसने अमेरिका जैसी सुपर पावर को, जिसके पास अनलिमिटेड रिसोर्सेज थी, वियतनाम जैसे एक छोटे से देश ने, अपने बेहद मामूली रिसोर्सेज हरा दिया। मैंने गाइड से यह पूछा, मेरा प्रश्न बिल्कुल साफ और स्पष्ट था, गाइड मुस्कुराया और मुझे कहा आप इंडिया से हो, हम बैठकर बातें करते हैं। एक मेटल बेंच रखी हुई थी, हम उस पर बैठ गए। गाइड ने बातें आगे बढ़ाते हुए कहा, इंडिया में एक महान योद्धा हुए, जिन्होंने गुरिल्ला युद्ध और छापामार युद्ध को शुरू किया था, और अपने से कई गुना अधिक शक्तिशाली दुश्मन को हराया था। वे महान योद्धा थे, शिवाजी महाराज। वियतनाम अमेरिका युद्ध के दौरान, हमने शिवाजी महाराज के युद्ध तकनीकों का बहुत गहनता से अध्ययन किया था। और हमने उनसे सीखा कि किस तरह से जब आपके पास बहुत कम रिसोर्सेज हो, तो अपने से कई गुना अधिक शक्तिशाली शत्रु का मुकाबला कर सकते हैं। हमने उनसे सीख कर जमीन के अंदर सुरंगे बनाई। और अमेरिका की वायु सेना, जब हम पर हमला करती थी,  तो हम सुरंग में छुप जाते थे। हमने उनके जीवन के बारे में अधिकांश वियतनामीयों को बताया। हमने बताया किस तरह से हर एक मराठा एक सिपाही हो गया था और युद्ध का बेहद महत्वपूर्ण अंग। उसी तरह हर एक वियतनामी एक सिपाही हो गए थे। और अपने तरफ से योगदान दे रहे थे। अगर हम इस युद्ध में किसी एक व्यक्ति को क्रेडिट दे सकते हैं युद्ध के विजय के लिए तो वह व्यक्ति हैं शिवाजी महाराज।
मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। हमारे देश के महान सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य ने, ना सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि वियतनाम को भी इंस्पायर किया। वह गाइड मुझे लेकर दूसरे म्यूजियम में पहुंचा, जो कि राष्ट्रपति का पुराना आवास था। राष्ट्रपति भवन के नीचे बने हुए बंकर में लेकर पहुंचा, वहां उन्होंने उस कमरे को दिखाया जिसमें वियतनाम के तत्कालीन राष्ट्रपति “हो ची मिन्ह” बैठ कर युद्ध का संचालन किया करते थे। वियतनामी लैंग्वेज में छपी हुई किताब को दिखाया, जिसमें उसने बताया कि यह लिखा हुआ है की “हो ची मिन्ह”, छत्रपति शिवाजी महाराज से कितने प्रभावित थे। उनके पद चिन्हों पर चलकर, सुपर पावर अमेरिका को हराया। गाइड काफी नॉलेजेबल था। दोनों म्यूजियम घूमने के बाद, मैंने हाथ मिलाकर विदा लिया। गाइड का कहना था, मुझसे मिलकर उसे खुशी हुई, क्योंकि मैं वियतनाम की इतिहास को जानना चाहता था। और मैं छत्रपति शिवाजी महाराज के देश से आया हूं जो उनके भी आदर्श हैं।
किसी भी राष्ट्र को उसके गौरवशाली इतिहास को नहीं भुलाना चाहिए।

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