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जाने फरीदाबाद की ऐसी  झील जिससे कोई लौटा नहीं  जाने क्या है कहानी

दिल्ली की सीमा से सटे अरावली के जगंल, कृत्रिम झील और ऊंची-ऊंची पहाड़ियां  दूर से जितना खूबसूरत दिखता है, ये करीब से उतना ही खतरनाक है।

प्रकृति के इतने करीब होने के बावजूद यह जगह वीरान रहता है। यहां पर आने से पहले लोग दस बार सोचते हैं।

डेथ वैली के नाम से मशहूर यह झील 7 खदानों का एक संग्रह है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि 1990 तक अरावली में खनन का कार्य धड़ल्ले से चला। वर्ष 1991 में खनन पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दी।

जिसके बाद आधा दर्जन से अधिक खदानें भू जल को छू गई और यहां प्राकृतिक रूप से नीले रंग का साफ पानी निकल आया जो धीरे-धीरे विशालकाय झील में तब्दील हो गई।

यही कारण है कि इन झीलों की गहराई का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है।

यहां की सुंदरता देख साल 1991 के बाद से दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने आने लगे।

जैसे जैसे यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ी, वैसे ही दुर्घटनाओं का आंकड़ा भी बढ़ता चला गया। क अनुमान के मुताबिक, यहां हर साल तीन लोगों की डूबकर मौत होती है

साल 1991 में खनन का काम बंद होने के बाद अबतक करीब 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यहां पर तैरना सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया है । 

 इसके बाद भी यहां पर्यटक ये सब नजरअंदाज कर  झील में उतरकर अपनी जान गंवा बैठते हैं। गर्मियों के दौरान यहां पर्यटकों की सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है।