मीठा करेला या रामकरेला; वानस्पतिक नामः (Cyclanthera pedata (L.) Schrad) जो पादप कुल कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) से संबंधित है।

यह समुद्रतल से लगभग 2600 मीटर तक की ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में अगस्त से लेकर नवंबर तक उगने वाली पहाड़ी सब्जी है। वास्तव में यह एक पतली बेल है

पहाड़ में बरसात में होने वाली यह सब्जी छोटे-छोटे कांटों वाली यह सब्जी मिनटों में तैयार हो जाती है। इसकी सब्जी धीमी आंच पर पकाई जाती है। इसके फल पोटेशियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस के स्रोत हैं।

उत्तराखण्ड के अलावा भारत के अन्य हिस्सों के साथ यह दक्षिण अमेरिका में भी पाया और खाया जाता है। पेरू में इसे काइवा कहते हैं।

स्वाद में मीठे होने के कारण इसको मीठा करेला कहते है। कुछ लोग इसे परमला कहते हैं कई जगह ये ककोड़ा के नाम से जानी जाती है। शहरों में इसे राम करेला कहा जाता है।

इसमे आयरन के साथ हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले तत्व होते है। इसके अलावा एंटीऑक्सिडेंट अक्‍सर अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य और बीमारियों को रोकने का काम करते है।

कैंसररोधी होने के साथ आंखों, लिवर अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट है। यह फाइबर, प्रोटीन और कॉर्बोहाइड्रेट की भी खान है। इसके पौधे पर बीमारियों का प्रकोप भी नहीं होता, यह पहाड़ों में खूब पनपता है।

राम करेला पौष्टिकता के साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसका रस उच्च रक्तचाप के अलावा खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को भी ठीक रखता है। यह धमनी रोग, संचार समस्याओं और शुगर के इलाज में भी कारगर है।

कड़वा करेला जहां डायबिटीज का दुश्मन है, वहीं मीठा करेला भी डायबिटीज की प्रभावशाली दवा है।  राम करेला सभी तरह के चर्म रोग व जलन में भी यह उपयोगी है।

इसका स्वरस कील-मुहांसों को ठीक करने के भी काम आता है, जबकि इसकी जड़ को सुखाकर बनाया गए चूर्ण का लेप चर्म रोगों के लिए बहुत उपयोगी है।