Bageshwar: कुमाऊँ का तीर्थस्थल

by Neha Mehta
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उत्तराखंड पर्यटन की दृष्टि से एक बेहद प्रसिद्ध स्थान है। जो पर्यटन मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला  ऐतिहासिक स्थान बागेश्वर, उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित है।

बागेश्वर जिला मुख्यालय है। जिसकी सीमाएं अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली जिलों की सीमाओं से लगी हुई हैं। नगर के पश्चिम में नीलेश्वर पर्वत, पूर्व में भीलेश्वर पर्वत, उत्तर में सूर्यकुण्ड तथा दक्षिण में अग्निकुण्ड स्थित है।

इस प्राचीन पर्वतीय नगर और जिला मुख्यालय में वर्तमान युग की लगभग सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।  यह स्थान अपने  में  संस्कृति, इतिहास, कला, साहित्य को अपने में समायें हुए है।

जनपद मुख्यालय होने के कारण यहाँ जनपद स्तरीय सभी सरकारी कार्यालय मौजूद हैंलोक निर्माण कार्यालय, तहसील, अग्निशमन केंद्र, डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेरी, बिजली विभाग, indane गैस ऑफिस , BSNL टेलीफोन एक्सचेंज और कुछ बैंक जैसे SBI, PNB, अल्मोड़ा अर्बन बैंक आदि ताकुला रोड जिसे तहसील रोड के नाम से भी जाना जाता है में स्थित हैं। कोतवाली, रोडवेज और KMOU बस स्टेशन आदि कौसानी रोड में हैं।

जिला पंचायत ऑफिस, जिलाधिकारी कार्यालय, जिला अस्पताल कांडा रोड में हैं।  जल संस्थान, डिग्री कॉलेज कठायतबाड़ा  कपकोट मार्ग में हैं।  इसके अलावा इन चारों मार्गों में आपको रात्रि रुकने के लिए होटल, गेस्ट हाउस आदि उपलब्ध हो जायेंगे।

बागनाथ 

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, यहाँ आपको हर जगह भव्य मंदिरों के दर्शन हो जाएंगे। इसी देवभूमि के कुमाऊँ क्षेत्र के बागेश्वर जिले में भगवान शिव के एक रूप बागनाथ जी का सुप्रसिद्ध तीर्थ हैं। पहड़ियों से घिरे इस स्थान वर्ष में कभी भी आया जा सकता हैं।

बागनाथ मंदिर शहर के केंद्र में सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित स्थल हैं। मंदिर के निकट सरयू और गोमती नदियों का संगम हैं, गोमती नदी सरयू की सहायक नदी हैं, और संगम के बाद इसे सरयू नदी के नाम से जाना जाता हैं।

बागनाथ मंदिर के महत्व का स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया है। उत्तराखंड में हरिद्वार में गंगा स्न्नान की तरह ही, कुमाऊं में बागेश्वर में पवित्र सरयू/ गोमती के स्नान को महत्व दिया जाता हैं।

मंदिर का प्रांगण जिसमे कत्यूरी शैली के पटाल बिछे हैं। बागेश्वर जिले का नाम भी इसी मंदिर के नाम पर पड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार बाबा मार्कडेय इस स्थान पर भगवान शिव जी पूजा किया करते थे जिससे शिव जी एक बाघ के रूप में ऋषी मार्कडेय को आशीर्वाद देने आये थे।

7वीं शताब्दी से 13वीं सदी तक यहाँ कत्यूरी राजवंश का शासन रहा, उस समय इस मंदिर की नींव रखी गयी। 13वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश के विघटन के बाद यहां, चंद  वंश का शासन आरंभ हुआ। सन् 1602 मे राजा लक्ष्मी चंद ने बागनाथ के वर्तमान मुख्य मन्दिर एवं मन्दिर समूह का पुनर्निर्माण किया था। बागेश्वर 1997 में जनपद बना, इससे पूर्व यह अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था।

मंदिर में देखी जाने वाली विभिन्न पत्थर की मूर्तियां 7 वीं शताब्दी ईस्वी से 16 वीं शताब्दी ईस्वी तक की हैं। इस जगह में मंदिरों का एक समूह है प्रमुख मंदिरों में भैरव मंदिर, दत्तात्रेय महाराज, गंगा माई मंदिर, हनुमान मंदिर, दुर्गा मंदिर, कालिका मंदिर, थिंगल भिरव मंदिर, पंचनाम जुनाखरा और वनेश्वर मंदिर हैं।

बागेश्वर में मकर संक्रांति पर्व के समय भव्य मेला लगता है, जो कई दिन तक चलता हैं। शिवरात्रि के समय मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता हैं, जिसमे बड़ी  संख्या में श्रृदालु पहुंचते  हैं । बागनाथ मंदिर में मुख्य रूप से बेलपत्री से पूजा होती है। कुमकुम, चंदन, और बताशे चढ़ाने की भी परंपरा है। खीर और खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। यहां पूजा करने के लिए पूरे वर्ष हिंदू तीर्थयात्रियों इस स्थान पर आते है।

बैजनाथ के बारे में और भी जानिए।

बागेश्वर में बागनाथ सहित कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। यहाँ से विशाल हिमालय श्रेणियों दर्शन होते हैं। यहाँ से कई उच्च हिमालयी गावों और प्रसिद्ध पिंडारी ग्लेशियर के लिए ट्रैकिंग हेतु बेस कैंप का रूट गुजरता  हैं ।

बागनाथ मंदिर से लगभग 400 – 500 मीटर दूर  गरुड़/ कौसानी रोड – में यह हैं बागेश्वर शहर का बस स्टैंड – रोडवेज और प्राइवेट बस यही से मिलती हैं । यहाँ से दिल्ली, देहरादून, हल्द्वानी, अल्मोड़ा,  पिथौरागढ़ आदि स्थानों के लिए बस उपलब्ध हो जाती हैं।

बस स्टॉप स से कुछ मीटर की दुरी पर यह हैं मुख्य तिराहा, जिसे SBI तिराहा भी कहते हैं, – जहाँ से दायी और जाती हैं –  ताकुला रोड और सीधा आगे की ओर जाती सड़क में बायीं और हैं – एक फिलिंग स्टेशन, सड़क के दोनों दुकाने, और रेस्टोरेंट। सामने की जाती इसी रोड में आगे जाकर हैं एक और तिराहा –

जहाँ से दायी और जाती सड़क – हैं कांडा रोड, जहाँ से चौकोड़ी, बेरीनाग, गंगोलीहाट, पातालभुवनेश्वर, थल, पिथौरागढ़, मुनस्यारी जा सकते हैं, और बायीं ओर यानी सीधा आगे जाती सड़क से भराड़ी, कपकोट, शामा की और जा सकती हैं, शमा से आगे एक रोड मुनस्यारी भी जाती हैं, जो बिर्थी वॉटरफॉल से थोड़ा पहले मुनस्यारी रोड में मिल जाती हैं।

चंडिका मंदिर

देवी चांदिका को समर्पित एक सुंदर मंदिर बागेश्वर से करीब आधे किलोमीटर दूर स्थित है। हर साल, नवरात्रों के दौरान यहाँ श्रद्धालु की भीड़ उमडती है तथा माता की पूजा की जाती है।

श्रीहरु मंदिर

श्रीहरू मंदिर बागेश्वर से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है। भक्तों का मानना ​​है कि यहां इच्छा पूर्ति के लिए की गयी प्रार्थना हमेशा फलित होती है| यहाँ हर साल नवरात्रों के बाद विजया दशमी के दिन एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।

गौरी उडियार

यह बागेश्वर से 8 किमी दूर है। यहां एक 20 गुणा 95 वर्ग मीटर की बड़ी गुफा है जिसमें भगवान शिव की मूर्तियां हैं।

बागेश्वर के निकट अन्य मंदिर
  • रामघाट मंदिर
  • अग्निकुंड मंदिर
  • रामजी मंदिर
  • लोकनाथ आश्रम
  • नीलेश्वर महादेव
  • अमित जी का आश्रम
  • कुकुडा माई मंदिर
  • ज्वालादेवी  मंदिर
  • सितलादेवी मंदिर
  • वेणीमाधव  मंदिर
  • त्रिजुगीनारायण मंदिर
  • राधाकृष्णा मंदिर
  • हनुमान मंदिर
  • भीलेश्वर धाम
  • सूरजकुंड
  • स्वर्गाश्रम
  • सिद्धार्थ धाम
  • गोपेश्वर धाम
  • गोलू मंदिर
  • प्रकतेश्वर महादेव

बागेश्वर के बारे में और जानने के लिए वीडियो देखें।



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